Sadhana Shahi

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लेखनी कहानी -27-Feb-2024

सुलझाएंँ श,ष,स की पहेली


भारतीय ध्वनियों को बोलने की सुविधा को ध्यान में रखकर अक्षरों को मुंँह के अवयव के आधार पर वैज्ञानिक तरीके से वर्गीकृत किया गया है। इसके बावजूद हम बोलने में सतर्कता नहीं बरतते हैं जिसके अभाव में सदा भ्रम की स्थिति बनी रहती है।

1- श sh श - तालव्य व्यंजनों के साथ, जैसे- चवर्ग-च,छ,ज,झ,ञ और य, के साथ प्रयुक्त किया जाता है। जैसे- निश्चित, निश्चल, निश्चय, पश्चिम, निश्चिंत, निश्छल, निश्चेष्टता आदि।

  • जहांँ पर श और ष एक साथ प्रयोग किए जाते हैं वहांँ पर बड़ा श ही पहले आता है, जैसे- विशेष, शीष,आशीष, विशेषण , शेषनाग, शिरोमणि शिष्ट,अशिष्ट, शिष्य, शिक्षा आदि।

यदि हम भूलबश श और ष का प्रतिस्थापन कर दिए तब उसे पढ़ने में जो प्रवाह होता है वह नष्ट हो जाता है।

जैसे- विष्णु, विश्णु,विश्डु अब यदि हम इसे पढ़ें तो पहले वाला विष्णु ही सही तरह से पढ़ पाएंँगे।

  • अंग्रेज़ी के शब्द जो देवनागरी लिपि में लिखे जाते हैं उनमें श का प्रयोग किया जाता है जैसे -क्वेश्चन ऑपरेशन, नेशन ,कलेक्शन, ऑप्शन, करेक्शन, ऑब्जेक्शन आदि।

2- षshh ष-मूर्धन्य है, अतः यह मूर्धन्य अक्षरों के साथ ट वर्ग- ट,ठ,ड,ढ,ण, और ढ़,ड़,र,ऋ के साथ प्रयोग किया जाता है।

जैसे- कष्ट, उष्ण, कृष्ण, कनिष्ठ,पृष्ठ,

  • श और ष के उच्चारण में अंतर- तालव्य श का उच्चारण कम बल देकर किया जाता है जबकि मूर्धन्य ष का उच्चारण अधिक बल देकर किया जाता है। इसे और अच्छे से समझने के लिए हम इंग्लिश को देख सकते हैं- शsh, षshh

*। कुछ भाषाई क्षेत्रों,तुलसीदास के दोहों आदि स्थलों पर ष को ख भी पढ़ा जाता है।

  • ऋ की मात्रा वाले शब्दों में ष का प्रयोग किया जाता है, जैसे-कृषक, ऋषि, वृषभ, वृषभानु, ऋषिकेश, ऋषभदेव आदि।

र,ण, ड़ के बहुधा ष का प्रयोग किया जाता है

  • आकर्षण, घर्षण, संघर्ष, अमर्ष ,हर्ष ,परिषद, भूषण, प्रदूषण, खरदूषण ,षड्यंत्र, षोड़ा

*यहांँ यह ध्यान देना ज़रूरी है कि उत्छिप्त वर्ण ड़,ढ़ टवर्ग का है लेकिन इसका प्रयोग बहुधा ष के साथ होता क्योंकि इसका उच्चारण ड की तरह न होकर ण की तरह होता है।

  • ष युक्त शब्द तत्सम होते हैं तद्भव नहीं।

स s स दंत्य वर्ण है अतः यह दंत्य वर्णों त वर्ग- त,थ,द,ध,न,और ल, के साथ प्रयोग किया जाता है।

जैसे - संपत्ति, संत, सत्ता, स्थापित स्पर्श, स्पेशल, तुलसी,दास, दास्ताँ,

विशेष-

  • ष का उच्चारण सबसे अधिक दबाव के साथ होता है, उससे कम दबाव श पर पड़ता है और सबसे कम दबाव स पर पड़ता है। और स सबसे बाद में आता है इसीलिए इसे छोटा स भी कहा जाता है।

श के उच्चारण में हमारी जिह्वा तालू को स्पर्श करती है अतः से तालव्य श । ष के उच्चारण में हमारी जिह्वा मुर्धा को स्पर्श करती है अतः इसे मूर्धन्य ष तथा स के उच्चारण में हमारी जिह्वा दातों को स्पर्श करती है इसलिए इसे दंत्य वर्ण कहा जाता है।

*जब भी दो श-ष ,साथ में आते हैं तब वो उसी क्रम में प्रयोग किए जाते हैं, जिस क्रम में हिंदी वर्णमाला में हैं, जैसे-श,ष,स विशेष, विशेषण, शेषनाग, आशीष, संदेश, सारांश,संशय आदि।

यहांँ यह ध्यान देना भी आवश्यक है कि कोई भी नियम शत- प्रतिशत लागू नहीं होता।

साधना शाही, वाराणसी

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5 Comments

madhura

02-Feb-2025 09:46 AM

v nice

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Varsha_Upadhyay

14-Mar-2024 07:15 PM

Nice

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Mohammed urooj khan

06-Mar-2024 12:38 PM

👌🏾👌🏾

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